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सचिन के नाम प्रणव की चिट्ठी

जिंदगी
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प्रिय सचिन,

महाशतक की ढेरों शुभकामनाएं और धन्यवाद !
मुझे पता है कि आज तुम शुभकामनाओं के लोड से अभिभूत होगे, फिर भी मेरी शुभकामनाएं सहेज ही लो और धन्यवाद भी। तुम सोच रहे होगे कि धन्यवाद किसलिए तो मैं बता ही देता हूं। अरे भई तुमने तो वो काम कर दिया जो मेरे लिए कभी सौरव तक ने नहीं किया। बजट पेश करने के बाद जब मैं खासा परेशान था और लोग मुझे कोसना शुरू कर चुके थे, तभी तुम्हारे इस महाशतक ने लोगों को व्यस्त कर दिया। अब किसी को बजट और महंगाई की चिंता नहीं है। सब तुम्हारे शतक की महाखुशी में व्यस्त हैं। मुझे यह राहत देने के लिए धन्यवाद।

वैसे आज सुबह तुमसे कम तनाव में नहीं था मैं। तुम्हारे ऊपर सौंवें शतक का दबाव था तो मेरे ऊपर उम्मीदों को बोझ। तुम भी बीते एक वर्ष से दबाव व तनाव में थे, मैं भी एक वर्ष से परेशान था। तुम रोटेशन के मारे थे, तो मुझे भी चिदंबरम ने कुछ कम परेशान नहीं किया था। खैर हम दोनों ने सोलह मार्च किसी तरह पार ही कर ली। इस दिन के उत्तरार्द्ध को मेरे लिए सही करने में तुम्हारा ही योगदान है। तुमने शतक न लगाया होता तो टीवी चैनलों पर मेरी ही चर्चा होती। तमाम विशेषज्ञ बजट की बखिया उधेड़ रहे होते और कई बिन्दुओं पर तो मुझे भी जवाब देते नहीं बनता। वो तो तुम थे, जिन्होंने मेरे लिए मुफीद मौके पर शतक लगा दिया और चैनलों पर मेरी चर्चा तक नहीं हुए। तुम्हें एक बात बताऊं, मेरे एक अर्थशास्त्री मित्र को एक बड़े चैनल ने चर्चा के लिए बुलाया था, वे दिल्ली के जाम में फंस कर कुछ लेट हो गये तो चैनल ने दरवाजे से ही लौटा दिया। बाद में पता चला कि जब तक अर्थशास्त्री महोदय पहुंचें, तब तक तुम्हारा शतक लग चुका था और उनकी जगह एक पुराने खिलाड़ी को चर्चा के लिए स्टूडियो में जगह मिल गयी थी।
अब तुम समझ ही गये होगे कि तुम्हारा यह शतक मेरे कितने काम आया है। इस शतक के बावजूद भारतीय टीम मैच हार गयी, जिससे थोड़ी बहुत निराशा हुई है। लोग बातें करेंगे, लेकिन यह मैं ही समझ सकता हूं कि तुम्हारा शतक कितना जरूरी थी। अब अगले कुछ दिन तुम्हारे शतक पर चर्चा होगी और बजट थोड़ा पीछे हो जाएगा। मुझे तमाम गालियों से बचाने के लिए धन्यवाद।

एक बार फिर महाशतक की बधाई और शतकीय भविष्य की शुभकामनाओं के साथ,

प्रणव मुखर्जी

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