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अपना शहर हाईटेक हो रहा है। आज से नहीं बहुत साल पहले से है। अरे तब से जब सूबे का पहला सुपर कम्प्यूटर खड़खड़े में लदकर अपनी आईआईटी आया था। साल-दर-साल हम टेक्निकल होते गये, होते गये तो फिर फेसबुकियाने में क्यों पीछे रहते। तो भइया फेसबुक आयी तो शहर भी छा गया। वो क्या कहते हैं कम्युनिटी से लेकर प्रोफाइल तक हर जगह बस अपना ही शहर। लोग जुड़ने लगे, बातें होने लगीं और बातें ही नहीं क्रांति भी होने लगी। अन्ना आये तो हजारों जुड़ गये। अचानक एक दिन सुबह नेताजी से उनके एक चिंटू ने कहा, भइया आप फेसबुक पर कब आ रहे हो? चौराहे पर खड़े होकर चाय पीने से लेकर कमरे के भीतर पॉलिटिक्स तक बड़ी आसानी से करने वाले नेता जी बोले, क्या.. फेसबुक? उन्हें याद आये अशोक चक्रधर जिन्होंने एक दिन फेसबुक को मुख पुस्तक का नाम दिया था। नेता जी को लगा कि यह चिंटू उन्हें मुख पुस्तक से मुखापेक्षी न बना दे। चिंटू के साथ मौजूद अन्य मिंटू, शिंटू भी बोले, भइया आपका प्रोफाइल फेसबुक पर तो होना ही चाहिए। आनन-फानन प्रोफाइल बना और नेताजी फेसबुक पर अवतरित। उनके प्रशंसक तो मानो इसका इंतजार ही कर रहे थे। आनन-फानन उनकी फ्रेंडलिस्ट बड़ी होने लगी। नेताजी बहुत खुश, लेकिन यह क्या जनता महज दोस्ती नहीं चाहती।फ्रेंडलिस्ट के साथ विशलिस्ट बढ़ी तो नेताजी टेंशन में। एक ने कहा, मेरी सड़क नहीं बन रही, तो दूसरे ने पानी न मिलने की बात बतायी। कुछ ने शहर की दुर्दशा न देख पाने पर शर्म न आने का उलाहना दिया। नेता जी को शर्म लगी और उन्होंने जनता को जवाब देना बंद कर दिया। फिलहाल उनके फेसबुक एकाउंट पर जनता के सवाल तो हैं, जवाब नहीं। नेताजी भी निराश हो चुके हैं, जवाब दें भी तो किस मुंह से। शहर की सड़कों से लेकर नालियों तक सब खुदी व जाम जो पड़ी हैं। बाद में पता चला कि नेता जी ने तो एक भी जवाब नहीं दिया था, वह तो उनका चिंटू था जो सारे जवाब दे रहा था। नेता जी को कहां फुर्सत जनता के जवाब देने की। अब चिंटू थक गया तो जवाब भी थक गये। हां, इतना जरूर हुआ है कि इन बड़े नेताजी की देखादेखी तमाम छोटे नेताजी लोग भी फेसबुक पर आ गये हैं। उनके प्रोफाइल की फ्रेंडलिस्ट भी बड़ी हो रही है, किन्तु जनता की विशलिस्ट यहाँ भी छोटी है। जनता पहले की तरह उदास है। जनता से हमने पूछा तो बोली, कभी फेस सामने न लाने वाले फेसबुक पर आए थे तो उम्मीद बंधी थी, पर हमें क्या पता कि वे इस तरह लाजवाब की जगह नाजवाब हो जाएंगे।
जनता तो बस जनता है
फेसबुक हो या ट्विटर
चाहे हो गूगल प्लस
वह तो बस है माइनस
कब आएगी कोई बुक
जहां होगी ट्वीट
जनता की उम्मीदों से जुड़ी
और सब कुछ होगा
बस प्लस ही प्लस
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