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अन्ना हजारे के आंदोलन को पूर्ण शुचितापूर्ण, भ्रष्टाचार मुक्त व गैरसाम्प्रदायिक मानते हुए कुछ लिखने की शुरुआत कर रहा हूं। अन्ना हजारे के अनशन को लेकर पूरी दुनिया में भारतवंशियों का बड़ा हिस्सा उनके साथ है। भारत के भीतर तो जनज्वार दिख ही रहा है। इतने के बावजूद आज सुबह टीम अन्ना कुछ डरी-डरी सी दिखी। हालांकि जिस डर की बात मैं करने जा रहा हूं, वह डर अन्ना के रामलीला मैदान पहुंचने के साथ ही दिखने लगा था। अन्ना ने जनलोकपाल मसले पर ही अपने पिछले अनशन में मंच के पार्श्व में भारत माता का चित्र लगाया था। कुछ लोगों ने उसे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी भारत माता का चित्र बताया तो इस बार मंच पर गांधी जी रह गये। खैर, एंटी अन्ना इतने भर से कहां मानने वाले थे। उनके यह तो समझ में आ चुका था कि टीम अन्ना की कमजोर नस कहां हैं, सो फिर हमला हुआ। अन्ना को अमेरिका से लेकर संघ तक के समर्थन की बातें कही गयीं। और यह क्या… बड़ी इच्छाशक्ति का दावा करने वाली टीम अन्ना परेशान हो गयी। पहले मंच पर ही नमाज अदा करायी गयी। चलो कोई बात नहीं, देशव्यापी संदेश देने व विरोधियों का मुंह बंद करने के लिए यह जरूरी था। टीवी चैनलों पर केजरीवाल व भूषणों के अलावा शाजिया अल्वी का चेहरा भी टीम अन्ना की ओर से दिखाया जाने लगा, ताकि लगे कि मुसलिम भी इस टीम का हिस्सा हैं। रविवार सुबह तो सेकुलर बनने की यह चाहत शायद सबसे ऊपर पहुंच गयी। सुबह दस बजे जैसे ही अन्ना हजारे मंच पर आए, उनके भाषण से ज्यादा जरूरी एक ऐसा भाषण समझा गया, जिसे सेकुलर तो कभी नहीं माना जा सकता। जी हां, संघ से दूरी बनाने के चक्कर में और कहा जाए तो इसे साबित करने के लिए सैयद शहाबुद्दीन मंच पर थे। वही शहाबुद्दीन जिन्होंने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने के साथ ही पूरे देश में जहरीले भाषण दिये थे। जी हां, उनके भाषण भी किसी हिन्दू नेता के कथित जहरीले भाषणों से ज्यादा जहरीले थे। उन्होंने मुस्लिम इंडिया नाम से एक मैगजीन भी निकाली थी। यानि भारत के भीतर एक मुस्लिम भारत होने का दावा किया था शहाबुद्दीन ने। वही शहाबुद्दीन, जिन्हें वन्दे मातरम् कहने से गुरेज था। वही वंदे मातरम् जो अन्ना का आंदोलन का मूल तत्व बना हुआ है।
ऐसे शहाबुद्दीन सेकुलर कैसे हो सकते हैं। कैसे वे अन्ना के मंच का हिस्सा हो सकते हैं। इस घटनाक्रम से निश्चित रूप से अन्ना से जुड़ा सच्चा सेकुलर, जो छद्म सेकुलर नहीं है, निश्चित रूप से आहत हुआ होगा। अन्ना जी, अपने आसपास एक बार फिर नजर मार लीजिए। ऐसा न हो, कि लोग आपके मंच का भी दुरुपयोग कर लें। आप संघ से बचना चाहते हैं, बचें, डरते हैं डरें, पर इतना भी न डरें कि शहाबुद्दीन जैसे लोग सेकुलर की सूची में शामिल हो जाएं।
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