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नहीं…. कभी नहीं…..

जिंदगी
जिंदगी
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उसे देख कर कल तक
घर के बच्चे डर जाते थे
आज वह बच्चों का
“चाचा” बनना चाहता है


पहले उसके हाथ में
तमंचा होता था
अब उसने हाथ में
माइक पकड़ लिया है


पहले वह चीखता था तो
गालियां निकलती थीं
अब उसके मुंह से
वोट की अपील निकलती है


पहले वह घर की लड़कियों को
छेड़ने से बाज नहीं आता था
अब
वह सबको बहन बता रहा है


कल तक वह
माथे का सिंदूर उजाड़ता था
अब वह
भाग्य विधाता बनना चाहता है


क्या हम ऐसा होने देंगे…………
नहीं…. कभी नहीं…..

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